एक अनुमान के अनुसार 30 करोड़ नागरिकों को आधार विफलताओं के कारण कल्याण योजनाओं से बाहर किया जा रहा है,
तो क्या भारत सच में डिजिटल हो रहा है, या हम बस भेदभाव को डिजिटल बना रहे हैं?