11 सालों तक जाति जनगणना का विरोध करने के बाद, मोदी सरकार अब इसे ‘स्वीकार’ करने का निर्णय लेती है?
क्या यह विपक्षी पार्टियों का दबाव था, या फिर उन्हें भारत की वास्तविकता में छिपी जातिवाद की समस्या का पता अब चला?
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