क्या सुब्रमण्यम की किताब के प्रचार पर मचा विवाद ये दिखाता है कि आई.एम.एफ. जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपनी सोच को बेचने का जोखिम होता है?
‘थालीनॉमिक्स' की थाली तो सबको हज़म हो गई, लेकिन क्या 'India@100' की किताब आई.एम.एफ. को भारी पड़ गई?