जब मारुति ₹325 करोड़ की फ्रेट कॉरिडोर में निवेश कर रही है और हुंडई अपनी एक-चौथाई गाड़ियाँ ट्रेनों से भेज रही है, तो क्या भारत की कार कंपनियों ने वो समझ लिया है जो रेल मंत्रालय अब तक नहीं समझ पाया कि कार्बन-सजग पूंजीवाद असल में फायदे का सौदा हो सकता है?
If stampedes are becoming a ritual in Modi’s “devotional India” — from 121 injured in Hathras 2024 to 700 hospitalized and 3 dead in Puri 2025, is blind faith now riskier than any protest rally?
अगर भगदड़ मोदी के “भक्तिमय भारत” की नई परंपरा बन गई है — 2024 हाथरस में 121 घायल से लेकर 2025 पुरी में 700 लोग अस्पताल में और 3 की मौत — तो क्या अंधभक्ति अब किसी विरोध प्रदर्शन से ज़्यादा खतरनाक है?