पंजाब की अदालतों में अभी भी मजीठिया के पुराने मामलों की सुनवाई चल रही है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल ने पहले ही अपना फैसला सुना दिया — बिना किसी माफी या सफाई के उन्हें फिर से कोर कमेटी में शामिल कर लिया।
क्या वोटर उस बात को भूल जाएं जिसे अदालतों ने अभी तक सुलझाया ही नहीं?
मजीठिया की वापसी को आप कैसे देखते हैं?