हर 75 मिनट में एक औरत दहेज की बलि चढ़ जाती है — और हम अब भी इसे हत्या नहीं, ‘परंपरा’ मानते हैं? ‘समझौता’ करने का बोझ हमेशा लड़की पर ही क्यों होता है, जब तक वो टूट न जाए, बिखर न जाए, और खबरों से गायब न हो जाए? राय साझा करें...
Podcast - SUNLO
अपने विचार साझा करने के लिए...
⟶ आप अपने एंड्रॉइड या आईफोन में बोलोबोलो शो ऐप के होम पेज पर जाएं। ⟶ वहां नीचे की पट्टी पर माइक्रोफोन बटन के आइकन पर क्लिक करें। ⟶ फिर अपने विचारों को स्पष्ट आवाज़ में रिकॉर्ड करें।
Every 75 minutes, a woman dies because of dowry—how many more before we call this what it is: cultural homicide? Why does the burden to ‘adjust’ always fall on the bride—till she bends, breaks, and disappears from the headlines? Share Your Views...