जब भारत में महिलाओं की कार्यबल भागीदारी सिर्फ 31.7% है ,
बांग्लादेश और सऊदी अरब से भी कम, और ज़्यादातर महिलाएं कम दिहाड़ी या स्वनियोजित रोज़गार में फंसी हैं, तो मोदी सरकार का 'अमृत काल' इसे 2047 तक 70% कैसे बनाएगा?
या फिर ये भी एक और चमकदार नारा है, जो हकीकत पर पर्दा डाल रहा है?