जहाँ सिर्फ 1% खिलाड़ी ही शिखर तक पहुँच पाते हैं,
क्या कोई उन 99% को याद करता है जो वही सारी मुश्किलें झेलते हैं, लेकिन अंत में गुम हो जाते हैं?
शायद उनका अंत तो डेस्क जॉब में ही होता है, चाहे जितनी भी मेहनत कर लें!