क्या 5G की दौड़ में भागता भारत अपनी बेटियों को 2G में फँसा छोड़ सकता है?
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अगर गाँव की 74% युवतियाँ प्रेज़ेंटेशन नहीं बना सकतीं, 50% ऑनलाइन बैंकिंग नहीं कर पातीं और लगभग आधे से ज़्यादा ईमेल तक नहीं भेज सकतीं—तो किस 'डिजिटल इंडिया' पर ताली बजा रहे हैं?
क्या 5G की दौड़ में भागता भारत अपनी बेटियों को 2G में फँसा छोड़ सकता है?
In a country of 1.4 billion with an avalanche of data, how did we end up with more data scientists than statisticians—and more "analytics dashboards" than sound sampling designs?
1.4 अरब की आबादी और इतने सारे डेटा के बावजूद, देश में अच्छे सांख्यिकीविद कम और डेटा साइंटिस्ट ज़्यादा क्यों हैं? हर जगह डैशबोर्ड तो हैं, पर मज़बूत सैंपलिंग डिज़ाइन क्यों नहीं?