जब इंदिरा गांधी ने अख़बारों पर सेंसरशिप लगाई, देश सड़कों पर उतर आया था। मोदी वेबसाइटें बंद करते हैं, यूट्यूब चैनल्स बैन करते हैं, पत्रकारों को जेल में डालते हैं और एक ऐसा मीडिया किला खड़ा कर चुके हैं जो नफरत को प्राइमटाइम मनोरंजन की तरह बेचता है।
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अगर ये इमरजेंसी से भी बदतर नहीं है, तो फिर क्या है?