क्या मोहन माझी को उनकी सादा पृष्ठभूमि और संथाल समुदाय से होने के कारण सिर्फ एक दिखावटी चेहरा बनाकर मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि असली फैसले दिल्ली से लिए जा रहे हैं? अगर वे सच में जनता की आवाज़ हैं, तो फिर उनके कार्यकाल के पहले साल में चुप्पी, भगदड़, आत्महत्याएं और बढ़ता अपराध क्यों दिखा?
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क्या बी.जे.पी. ने उन्हें सिर्फ आदिवासी प्रतीक के तौर पर आगे किया?
If Mohan Bhagwat truly wants to liberate women from regressive traditions, will the RSS now open its shakhas, decision-making bodies, and ideological core to women?
अगर मोहन भागवत सच में महिलाओं को पिछड़ी परंपराओं से मुक्त करना चाहते हैं, तो क्या आर.एस.एस. अब अपनी शाखाओं, निर्णय-निर्माण संस्थाओं और वैचारिक ढांचे में महिलाओं को शामिल करेगा?